बिहार के हिल स्टेशन जो गया में स्तिथ है।

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बिहार के हिल स्टेशन जो गया में स्तिथ है

गया के आस पास यात्रा के गया भृमण के दौरान शहर के 2 से 3 घंटे के भीतर घूमने के लिए असंख्य दिलचस्प स्थल हैं। यहाँ भगवान विष्णु तथा बुद्ध के शहर की यात्रा करने वाले सभी लोगों के लिए एक शानदार अवसर है, जो प्राचीन मंदिरों, पहाड़ियों और गुफाओं को देखने में उत्सुक रहते हैं।

गया में आप आते है तो गया के  मुख्य पर्यटक स्ठल विष्णुपद मंदिर, बोधगया तथा माँ मंगला गौरी के दर्शन के  बाद आप गया के आस पास स्थित गुफाओं तथा पहाड़ियों के ऊपर जा सकते है, जो आपको  गया के भृमण को और बेहतरीन बना देगा।  गया में स्थित सारे पहाड़ियों का अपना अलग ही महत्व है। 

Bihar Hill Stations

1. प्रेतशीला पर्वत (Pretshila Hill Gaya )

जिसे हिल ऑफ घोस्ट कहा जाता है, प्रमुख महत्व है। गया के उत्तर-पश्चिम में लगभग 8 किमी दूर स्थित यह स्थान अपने यम मंदिर (मृत्यु के देवता) के लिए जाना जाता है, जो पहाड़ी के शीर्ष पर बना है। प्रेतशिला पर्वत  स्तिथ मंदिर सर्वप्रथम अहिल्या बाई होल्कर के द्वारा बनबाया गया था , जो इंदौर की महारानी थी।

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पास में ही रामकुंड सरोवर है, जिसका बहुत बड़ा धार्मिक महत्व है।  कहा जाता है, कि इस कुंड में भगवान राम ने स्नान किये थे। आज भी मान्यता है कि इस कुंड में स्नान कर लेते है, तो उसका तन मन का दुःख हरण हो जाता है। बीमार व्यक्ति स्नान कर लेने से स्वस्थ हो जाता है। 

Pretshila Hil Gaya | Barahma Kund | Lord Ram Take Bath Here

यदि आप गुफा देखना तथा घूमना पसंद करते है , तो आपको गया के आसपास घूमने का कई स्थान हैं।

आप डूंगेश्वरी गुफा मंदिर और बराबर गुफाओं की खोज पर जा सकते हैं, जो शहर के 30 किमी के दायरे में हैं। इन प्राचीन गुफाओं के इतिहास के बारे में जानना एक दिलचस्प अनुभव होगा। 

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2. ब्रह्मयोनि पहाड़ गया ( Brahmayoni Hill Gaya Bihar )

ऐतिहासिक मंदिरों का एक स्थान है।  ब्रह्मजुनी हिल आपको हरे भरे घास के मैदानों और विष्णुपद मंदिर के अद्भुत दृश्यों के साथ लुभाएगा। गया में स्थित, ब्रह्मयोनि पहाड़ विष्णुपद मंदिर से 2 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है।

पहाड़ी की चोटी तक पहुँचने के लिए आपको 1000 पत्थर की सीढ़ियाँ चढ़नी होंगी जहाँ आप शानदार शहर गया को देख सकते हैं। 

brahmayoni hill gaya bihar

ब्रह्मयोनि पहाड़ियों पर कुछ ऐतिहासिक गुफाओं के साक्षी जहाँ आप पत्थर की दीवारों पर उकेरी गई आकर्षक नक्काशी देख सकते हैं। एक किंवदंती के अनुसार, यह वह जगह है, जहाँ बुद्ध ने 1000 पुरोहितों को अग्नि प्रवचन दिया था। जो उनके अनुयायी थे और आत्मज्ञान प्राप्त करना चाहते थे।

Bihar hill stations

3. रामशिला पहाड़ी, गया ( Ramshila Hill Gaya Bihar )

गया में विष्णुपद मंदिरों से 5 किलोमीटर दूर स्थित, रामशिला पहाड़ी गया शहर में सबसे पवित्र पहाड़ियों में से एक है। पहाड़ी के ऊपर स्थित एक प्राचीन मंदिर एक चमत्कार है।  जिसे 1014 ईस्वी में बनाया गया था।

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बाद में बहुत सारे पुनर्स्थापनों और मरम्मत से रामशिला पहाड़ी पर स्तिथ मंदिर गुजरा है। मंदिर के सामने बना एक मंडप एक ऐसा स्थान है, जहाँ भक्त पितृपक्ष के समय पितरों को पिंडदान करते हैं।

पहाड़ी के ऊपर, रामेश्वर मंदिर है, जहां भगवान राम ने पहाड़ी पर “पिंड” दान किया था । कई हिंदू भक्त पितृपक्ष के समय रामशिला पहाड़ी पर जाते हैं, जहां वे अपने पूर्वजों को पिंडदान करते हैं।

4. गहलौर पर्वत, गया (Gehlor Hill Gaya)

गया का गहलौर घाटी पर्यटकों के लिए सबसे पसंदीदा जगह में से एक हो गया है।  यहां नित्य प्रतिदिन पर्यटकों की संख्या में काफी इजाफा हो रहा है। गहलौर घाटी में अपने देश के ही नहीं बल्कि विदेश से भी पर्यटकों का आना जाना प्रतिदिन लगा रहता है। 

गहलौर घाटी और इसके आसपास काफी ही खूबसूरत जगह है, साथ ही इस जगह से बिहार के पर्वत पुरुष दशरथ मांझी के साथ भी इतिहास जुड़ा हुआ है। 

गहलौर घाटी में आपको देखने के लिए दशरथ मांझी के द्वारा बनाया हुआ सड़क जो कि वजीरगंज को गहलौर से जोड़ता है, जो आप देख सकते हैं। इसके अलावा बिहार सरकार द्वारा बनाया हुआ दशरथ मांझी के याद में उनका स्मारक जो काफी दर्शनीय है। 

Dashrath Manjhi Story In Hindi

दशरथ मांझी ने अपने 22 वर्षों तक पहाड़ को अकेले ही काट कर उन्होंने गांव वालों के लिए रास्ता बनाया था। उन्होंने अकेले ही अपने छेनी तथा हथौड़ी के द्वारा पहाड़ को काटकर एक रास्ता का निर्माण किया था, जो आप देख सकते हैं। 

 

Gehlor_Hill_Gaya

दशरथ मांझी के द्वारा बनाया रास्ता 360 फीट लम्बी 30 फुट चौड़ा तथा 25 फुट गहरा था। अब बिहार सरकार ने उस रास्ते को पक्कीकरण कर दिया है। दशरथ मांझी के याद में एक हिंदी फिल्म मांझी द माउंटेन मैन के नाम से बनाया गया है जिसमे आप उनके संघर्षों को इस फिल्म में देख सकते है।  गया में आने वाले सारे पर्यटक लगभग इस जगह को जरूर देखते हैं। गहलौर घाटी बहुत ही ऐतिहासिक जगह है।  शहर से मात्र 36 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

5. डूंगेश्वरी हिल्स, गया  (Dungeshwari Cave Gaya History)

प्राचीन डूंगेश्वरी गुफा मंदिरों तक पहुंचने के लिए गया से लगभग 12 किमी दच्छिन -पूर्व में ड्राइव करते हैजिसे महाकाल गुफाओं के रूप में भी जाना जाता है। प्रागबोधी एक पवित्र स्थान है जिसे धूंगेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। लालपुर गाँव के नज़दीक स्थित प्रागबोधी बिहार में सबसे अधिक देखा जाने वाला स्थान है। यह एक ऐसा स्थान है जहाँ भगवान बुद्ध आत्मज्ञान प्राप्त करने से पहले रुके थे।

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ऐसा माना जाता है कि भगवान बुद्ध ने बोधगया की यात्रा जारी रखने से पहले यहाँ स्तिथ तीन गुफाओं में ध्यान तप किये थे।

यहाँ की गुफाओं में बौद्ध तीर्थस्थल भी हैं जिन्हें मूल निवासी सुजाता स्तवन कहते हैं। इन गुफा मंदिरों के अस्तित्व के पीछे एक दिलचस्प कहानी है, जिसमें कहा गया है कि आत्म-मृत्यु के दौरान, गौतम बेहद कमजोर और भूखे हो गए। उस समय, पास के एक गाँव की सुजाता नाम की एक महिला ने उन्हें भोजन और पानी ग्रहण करने की आग्रह की थी।

बाद में गौतम बुद्ध ने महसूस किया कि व्यक्ति आत्मग्लानि या आत्म-हनन से आत्मज्ञान प्राप्त नहीं कर सकता है। फिर वह अपनी यात्रा के साथ आगे बढ़े और बोधगया पहुँचे जहाँ उन्होंने अंततः आत्मज्ञान प्राप्त किया। गुफा मंदिरों में से एक में, आप बुद्ध की एक सुंदर सुनहरी मूर्ति देख सकते हैं, जो लगभग 6 फीट ऊंची है। 

6. बन्धुआ हिल्स (Bandhua Hills Gaya)

बन्धुआ कि पहाड़ियाँ गया से लगभग 16 किमी दूर और डूंगेश्वरी पहाड़ियों से 4 किमी दूर स्थित है। यह पहाड़ी बंधुआ रेलवे स्टेशन के बगल में स्थित है। 

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7. मेहर टंकुप्पा, गया (Mehar Hills Gaya)

मेहर हिल्स गांव मेंहर और बरतारा बाजार के पास टनकुप्पा ब्लॉक में स्थित है। गया जिले के टनकुप्पा प्रखंड में 12 किमी लंबी पहाड़ की श्रृंखला विराजमान है। पर्यटन के दृष्टिकोण से पहाड़ की यह श्रृंखला मनोरम है। जो राजगीर की पंच पहाड़ियों से मिलती है।

मेहर पहाड़ी के आस पास हरे भरे पेड़ और शांत वातावरण है। मनोहारी दृश्य पहाड़ की मनोरम छटा को बिखेरती है। पहाड़ पर हरे-हरे पेड़ और वन्य प्राणियों का विचरण आज भी जारी है। गया-रजौली भाया महेर स्टेट हाइवे संख्या-70 पथ से गुजरने वाले सैलानियों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित कर लेता है।

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तीन धर्म के मानने वालों का धर्मस्थल

महेर पहाड़ की चोटी पर हिंदू तथा मुस्लिम धर्म के मानने वालों का प्राचीन धर्म स्थली है। यहा बौद्ध धर्म से जुड़े कुछ तथ्य प्राप्त होने के कारण चार-पाच सालों से बौद्ध धर्मावलंबियों का आना जाना इस पहाड़ी पर होता रहता है। जिसमें अधिकतर विदेशी सैलानी होते हैं। इधर पर्यटन मौसम की शुरूआत होते ही विदेशी सैलानियों का आगमन होने लगा है।

भगवान बुद्ध यहां विश्राम किए थे

किवदंतियों के अनुसार भगवान बुद्ध भिक्षाटन के वक्त इसी महेर पहाड़ी की श्रृखंला से होकर गुजरे थे। स्थल रमणीक होने की वजह से भगवान बुद्ध अपने शिष्यों के साथ गुरपा पर्वत जाने के क्रम में कुछ दिनों तक यहां विश्राम और ध्यान किए थे। महेर पहाड़ की श्रृंखला हर पर्यटन के हर दृष्टिकोण से अव्वल कहा जा सकता है।

8. पथरा, टंकुप्पा, गया

पथरा मेंहर हिल्स से सिर्फ 1-2 किमी पर स्थित है। 

9. गुरपा हिल्स, गुरपा – गुरपा पीक (Gurpa Hill Gaya)

गुरपा पहाड़ी गुरपा नाम के एक गाँव के पास स्थित है। यह स्थान गया से 50 किलोमीटर दूर है। गुरपा के पहाड़ी को बिहार का हिल स्टेशन भी कहा जाता है। गुरपा हिल्स को एक पवित्र पर्वत शिखर माना जाता है और ध्यान करने के लिए एक आदर्श स्थान है। आप गुरपा पहाड़ की चोटी पर हिंदू और बौद्ध अवशेषों के कुछ ऐतिहासिक मंदिर देख सकते हैं।

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इस स्थान का बहुत ऐतिहासिक महत्व है, क्योंकि यह कहा जाता है कि भगवान बुद्ध के उत्तराधिकारी महाकश्यप ने पहाड़ी पर ध्यान लगाया था। ऐसा कहा जाता है कि जब महाकश्यप अपने जीवन के अंतिम छन में जा  रहे थे, तो वे गुरपा हिल्स के शिखर पर चढ़ गए और रास्ते में आने वाली विशाल चट्टानों पर प्रहार किया। इसने उसके लिए एक रास्ता बनाया जहाँ उसने ध्यान किया और उसके पीछे की चट्टानों ने रास्ता बंद कर दिया।

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10. बराबर पहाड़ की गुफाये (Barabar Hills)

बराबर पर्वत भारतवर्ष के पुरातन ऐतिहासिक पर्वतों में एक है। 1100 फुट ऊंचे बराबर पर्वत को मगध का हिमालय भी कहा जाता है। यहां सात अदभुत गुफाएं भी बनी हुई है। जिनका पता अंग्रेजों के कार्यकाल में चला । इनमें से चार गुफाएं बराबर गुफाएं एवं बाकी तीन नागार्जुन गुफाएं कहलाती है।

Barabar cave Story

भारत में पहाड़ों को काट कर बनाई गयी ये सबसे प्राचीन गुफाएं है। पर्यटन के लिहाज से भी ये काफी उपयुक्त स्थान है।

ये पर्वत सदाबहार सैरगाह के रूप में प्राचीन काल से ही चर्चित है। किंवदंतियों के अनुसार पर्वत पर बनी गुफाएं प्राचीन काल में ऋषि-मुनियों के ध्यान साधना लगाने हेतु सुरक्षा के दृष्टिकोण से बनाई गई थी।

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