बोधगया तथा गया बिहार का प्रमुख पर्यटन स्थान है

bodhgaya Bihar

बोधगया तथा गया बिहार का प्रमुख पर्यटन स्थान है

गया बिहार का प्राचीन ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व का एक शहर है। यह बिहार के प्रमुख पर्यटक आकर्षणों में से एक है| गया बिहार का दूसरा सबसे बड़ा शहर है, जिसकी 470,839 की आबादी है| गया जिला और मगध प्रमंडल का मुख्यालय भी है। गया प्रमंडल में गया, जहानाबाद, औरंगाबाद तथा नवादा जिला शामिल है| इन चारो जिलो में गया बिहार में सबसे ज्यादा आवादी वाला शहर है|

गया बिहार की राजधानी पटना से 100 किलोमीटर की दुरी पर है

गया बिहार की राजधानी पटना से 100 किलोमीटर की दुरी पर दक्षिण में स्थित है| पटना बिहार की राजधानी है, तथा बिहार कि महत्वपूर्ण शहर है| गया सिटी फल्गु नदी के तट पर स्थित है|  पुराने समय में फल्गु नदी को निरंजना के नाम से भी जाना जाता था| फ्लगु नदी का नाम रामायण में भी निरंजना उल्लिखित है| गया जैन, हिंदू और बौद्ध धर्म का पवित्र स्थान है।

गया पर्यटन स्थान तथा बोधगया के बारे में

राम ने अपने पिता दशरथ को पिंड-दान देने के लिए गया आये थे

गया सिटी तीनों तरफ से छोटे-छोटे चट्टानो वाली पहाड़ियों से ( मंगला-गौरी, श्रृंग-स्थान, राम-शिला और ब्रहम्योनी ) घिरा हुआ है| चौथी तरफ से (पूर्वी) फल्गु नदी बहती है। गया सिटी में प्राकृतिक परिवेश, पुरानी इमारतों, हरे क्षेत्रों और संकीर्ण गलियों का मिश्रण है। गया का महान महाकाव्यों  रामायण और महाभारत में उल्लेख मिलता है। सीता और लक्ष्मण के साथ राम ने अपने पिता दशरथ को पिंड-दान देने के लिए गया आये थे| इसलिए गया सिटी प्राचीन समय से ही अधिक लोकप्रिय है। महाभारत में, इसे (गया) जगह को गयापुरी कहा गया है।

गया के उत्पत्ति

“गया” नाम पौराणिक राक्षस गयाशुर (जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘गया राक्षस’) के नाम पर पड़ा है। वायु पुराण के अनुसार, गया एक राक्षस (असुर) का नाम था| यह कहा गया है, कि गयाशुर का शरीर चट्टानी पहाड़ियों की श्रृंखला में बदल गया जो गया सिटी के परिदृश्य को बनाते हैं|

गया पर्यटन स्थान तथा बोधगया के बारे में

 

गया बिहार का एक प्राचीन शहर है (प्राचीन इतिहास)

गया बिहार का एक प्राचीन शहर है। गया सिटी से लगभग 11 कि.मी. कि दुरी पर बोधगया है| जहां गौतम बुद्ध को आत्मज्ञान कि प्राप्त हुई थी। गौतम बुद्ध को बोधगया में एक पीपल के पेड़ के निचे कठोर तपस्या के बाद ज्ञान कि प्राप्त हुई थी| गौतम बुद्ध कि शिक्षाओं पर बौद्ध धर्म की स्थापना की गई थी। हालांकि, गया दुनिया भर में लोगों के लिए धार्मिक तीर्थ यात्रा का एक महत्वपूर्ण स्थान है|

गया बिहार से ही बौद्ध धर्म का दुनिया भर में प्रचार प्रसार हुआ

गया बिहार से ही बौद्ध धर्म का दुनिया भर में प्रचार प्रसार हुआ| इस अवधि के दौरान, गया मगध क्षेत्र का एक हिस्सा था। मगध मौर्यों राजवंशों के शासन काल में विकसित हुआ| पाटलिपुत्र मगध कि राजधानी थी| जिसे आज के आधुनिक युग में पटना के नाम से जानते है| पाटलिपुत्र से ही पुरे भारतीय उपमहाद्वीप की शासन चलाया जाता था।

 

गया पर्यटन स्थान तथा बोधगया के बारे में

अशोक ने बोधगया के प्रथम मंदिर का निर्माण किया

मगध क्षेत्र में कई राजवंशों की उथान  तथा पतन का केंद्र रहा है। छठी शताब्दी ईसा पूर्व से 18 वीं शताब्दी ईस्वी तक लगभग 2300-2400 वर्ष, गया क्षेत्र के सांस्कृतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है। नंद वंश के पतन के बाद गया और पूरे मगध क्षेत्र पर मौर्यबंश शासन में आया| मौर्यबंश का सबसे प्रतापी राजा अशोक हुआ था| अशोक (272 ईसा पूर्व – 232 ईसा पूर्व) के साथ मौर्य शासन में आया था। उन्होंने कलिंग युध के बाद बौद्ध धर्म को अपना लिया| उन्होंने बोधगया मंदिर का पहली  बार निर्माण किया, जिसमें राजकुमार गौतम की सर्वोच्च आत्मज्ञान की प्राप्ति हुई थी।

समुद्रगुप्त ने गया को विश्व पटल पर लाने में मदद की

4 और 5 वीं शताब्दी के दौरान गुप्तों के आने से हिंदू पुनरुत्थान की शुरुआत हुई। मगध की समुद्रगुप्त ने गया को विश्व पटल पर लाने में मदद की। गुप्त साम्राज्य के दौरान गया मगध का राजधानी के रूप में विकशित हुआ था| यह माना जाता है कि बोधगया का वर्तमान मंदिर गोपाल के पुत्र धर्मपाल के शासनकाल के दौरान बनाया गया था।

आधुनिक इतिहास

गया बिहार, 12 वीं सदी में, मोहम्मद बख्तियार खिलजी ने आक्रमण किया था। 1764 में बक्सर की लड़ाई के बाद यह अंततः अंग्रेजों को स्थानांतरित होने तक मुगल साम्राज्य का एक हिस्सा हुआ करता था। गया, देश के अन्य हिस्सों के साथ, 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त की। गया प्रसिद्ध शहर है, क्योंकि प्राचीन काल से ही धार्मिक तथा सांस्कृतिक का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है|

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