Bruxism Causes in Hindi | दाँत पीसना, ज्यादा तनाव के चलते होती है

Bruxism Causes in Hindi

टेंशन से दांत किटकिटाने या दांत पीसना की Habit भी पड़ जाती है

Bruxism Causes in Hindi – तनाव के खतरनाक और जानलेवा Effect से तो आप वाकिफ होंगे ही, आपको शायद यह मालूम नहीं होगा कि Tension से दांत किटकिटाने या दाँत पीसना की Habit भी पड़ जाती है. जिसके बारे में बहुत लोगों को पता ही नहीं होता.

आपको मालूम होना चाहिए कि इस अनजान habit का खामियाजा आपके दांतों को भुगतना पड़ सकता है. दाँत पीसना, ज्यादा तनाव के चलते होती है. यह आदत जानलेवा तो नहीं है, लेकिन इससे कई तरह की problem उत्पन्न हो सकती हैं. जैसे दांतों, सिर और चेहरे से संबंधित shape का प्रभावित होना, दांतों का टूटना आदि. बेहतर ये होगा कि आप अपनी तनाव को कम करने के लिए इलाज करा लें.

दाँत पीसना ब्रूक्सिस् को कैसे पहचाने

इसका पहचान करना बहुत ही आसान है. जिस आदमी या औरत रात में सोते समय दाँत पीसते हैं. रात में सोते समय उन्हें जबड़ों, गर्दन, कंधे या सिरदर्द महसूस होता है. जिसके कारण इस रोग से पीड़ित व्यक्ति कि नींद खुल जाती है. सुबह उठने के बाद जबड़े में दर्द तथा चेहरा के दूसरे तरफ दर्द होता है.

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क्या आपके दांत संवेदनशील है?

क्या आपके दांत संवेदनशील हैं. अगर आपको इनमें से कोई भी समस्या है, तो आप डेंटिस्ट से ज़रूर सम्पूर्ण करें. बहुत से विशेषज्ञों का ऐसा भी मानना है, कि ब्रूक्सिस्म  (दाँत पीसना) एक अनुवांशिक बीमारी है, और बहुत से मरीज़ों को इस बीमारी का पता भी नहीं चल पाता. लेकिन तनाव को इस बीमारी का एक मुख्य कारक माना गया है.

दाँत पीसना से होने वाले नुकसान

दांत किटकिटाना सुनने वाले के लिए चि‍डचिड़ाहट पैदा करने वाला विषय हो सकता है, और मरीज़ के लिए शर्मिंदगी का विषय हो सकता है. लेकिन इससे होने वाली समस्याएं बड़ी भी हो सकती हैं, और ऐसा भी ज़रूरी नहीं कि सभी समस्याएं दांतों से सम्बन्धी ही हों. यह समस्या एंक्रेनियोफेशियल नर्व को भी प्रभावित कर सकती हैं. यह एक ऐसी गतिविधि होती है, जो कि हमारी अवचेतन अवस्था में होती है.

इसलिए हमें इसका पता भी नहीं चल पाता और अधिकतर स्थितियों में यह सोते समय होता है. इसलिए इसपर हमारा बस भी नहीं होता  स्थितियों का पता तब लगता है. जब कि इसी प्रकार दांत किटकिटाने पर एक दिन दांत टूट जाते हैं, या फिर चेहरे पर सूजन आ जाती है.

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दाँत पीसना – पीड़ित व्यक्ति के दांतों का नुकसान हो सकता है

कुछ रात में जागने वाले नींद के एक घण्टे में चालीस मिनट तक दांत किटकिटाते हैं. ऐसा करने से दांतों की बाहरी सतह इनेमल के निकलने का खतरा रहता है, और दांत झड़ भी सकते हैं. इनेमल दांतों की सबसे उपरी परत है, यह बहुत ज्यादा कड़ा होता है और इसलिए यह दांतों को किसी भी प्रकार की हानि से भी बचाता है.

दाँत पीसना- चेहरा चौकोर हो सकता है

दाँत पीसना से दांत, जबड़े, कानों में दर्द हो सकता है, और यहां तक कि सिरदर्द भी हो सकता है. मांसपेशियों पर लगातार दबाव पड़ने के कारण चेहरा चौकोर सा दिखने लगता है. वो लोग जो कि माइल्ड ब्रक्सिरज़म से प्रभावित होते र्हैं, वो शारीरिक और मानसिक तनाव के लक्षण भी दर्शाते हैं. यह समस्या छोटे बच्चों में भी हो सकती है.

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दाँत पीसना-  से बचाव के तरीके

सोने से पहले तनाव से मुक्त होने का प्रयास करें. आप तनाव कम करने के लिए कम आवाज़ में गाने सुन सकते हैं. नाइट गार्ड आक्लूमज़ल स्पलिन्‍ट का प्रयोग करना. कुछ लोगों में इसके प्रभाव से दांतों का किटकिटाना बढ़ जाता है, और कुछ में बिलकुल ही ठीक हो जाता है.  इसे फिट करने के लिए दंत चिकित्सक के अस्पताल में जाना पड़ता है. यह प्लास्टिक का यंत्र होता है, और यह दांतों में आगे से पीछे की ओर लगा होता है.

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दाँत पीसना

कुछ लोगों में दांतों पर दबाव पड़ने के कारण स्लिनेकन्ट टेढ़े हो जाते हैं. ऐसी स्थितियों में स्लिनेकन्ट या गार्ड बदलने पड़ते हैं. दांतों के लिए एक्यूपंचर, मसाज, रिलैक्सेशन थेरेपी और मेडिटेशन की भी सलाह दी जाती है. प्रभावित मांस पेशियों में बटक्सि का इन्जेक्शन भी लगाया जा सकता है. जिससे कि मांसपेशियों में थकान नहीं होता.

दाँत पीसना – घरेलू उपचार

गुस्सा ,निराशा और आक्रामकता ऐसे कारण हैं, जिनसे ब्रक्सिपज़म समस्या होती है. आराम से और अच्छी नींद लेना दांत किटकिटाने जैसी समस्या का समाधान हो सकता है.

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