Dashrath Manjhi Story In Hindi | Road | Path | Wife

Dashrath Manjhi Story In Hindi

गांव के लोगों का जमीने भी गहलौर पहाड़ी के उस पार था

गया जिले के वजीरगंज प्रखंड में  एक गांव गहलौर है, जो चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ है।  गांव के लोगों को छोटी मोटी सुविधाओं तथा नित्य दिनों में काम आने वाले चीजों के लिए भी वजीरगंज जाना पड़ता था।

आज से 60 साल पहले इस पंचयात के गांवो की स्थिति काफी खराब थी। गांव के लोगों का जमीने भी गहलौर पहाड़ी के उस पार है। जहां लोग अपने मवेशियों के साथ खेती करने जाते हैं।

Dashrath Manjhi Path in Hindi
Dashrath Manjhi Path in Hindi

 

पहाड़ को चढ़कर पार करना पड़ता था

गहलौर गांव में 1960 के दशक में न गांव में सड़क था ना कोई स्कूल था और नहीं किसी तरह का अस्पताल हुआ करता था। लोगों को नित्य दिन के दैनिक जरूरतों के लिये भी छोटा सा कस्बा वजीरगंज जाना पड़ता था.

यहां तक कि इस गांव में जाने के लिए पहाड़ को चढ़कर पार करना पड़ता था या फिर घूम कर जाना पड़ता था. दोनों स्थितियों में जाना काफी मुश्किल हुआ करता था।

Dashrath Manjhi Story In Hindi

Dashrath Manjhi का जन्म निम्न हुआ था

Dashrath Manjhi का जन्म 14 जनवरी 1929 को बंशी बीघा गांव में हुआ था, जो गहलौर पंचायत का हिस्सा हुआ करता है।  इनका जन्म एक निम्न परिवार में तथा बहुत ही गरीब परिवार में हुआ था. इनका जन्म जिस जाति में हुआ था, इस जाति के लोगों को वहां हीन भावना से देखी जाती थी।

वर्ण भेद के हिसाब से इनके जाति के लोगों को गांव  से अलग मकान बनाकर रहना पड़ता था। इनके जाति के लोगों को समाज में किसी तरह की प्रतिष्ठा नहीं थी। ऊंची जाति के लोग इनके जाति के लोगों को शोषण किया करते।

Dashrath Manjhi Story In Hindi

ऊंची जाति के लोग इनसे मजदूर के रूप में खेतों में काम करवाया  करते थे

इन्हें बंधुआ मजदूर के रूप में ऊंची जाति के लोगों के घर में तथा खेत में काम करना पड़ता था। लेकिन फिर भी इन्हें खाने के लिए कुछ भी नहीं दिया जाता था। जिस समय इनका जन्म हुआ था, उस समय इनके गांव में ऊंची जाति के लोगों का बहुत ज्यादा वर्चस्व था।

क्योंकि सारा जमीन इन्हीं ऊंची जाति के लोगों के पास हुआ करता था। ऊंची जाति के लोग इनसे मजदूर के रूप में खेतों में काम करवाया  करते थे।

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Dashrath Manjhi Moves a Mountain
Dashrath Manjhi Moves a Mountain

 जमींदारों के खेतों में काम करना पड़ता

इन के वंशज के क्रमानुसार ही Dashrath Manjhi  को भी ऊंची जाति के बंधुआ मजदूर बन के उनके खेतों में काम किया करते थे। बंधुआ मजदूर को पीढ़ी दर पीढ़ी जमींदारों के खेतों में काम करना पड़ता था। इन जमींदारों से तंग आकर  Dashrath Manjhi गांव छोड़कर काम करने के लिए धनबाद चले गए थे। उस समय इनकी उम्र काफी कम थी।

फिर भी वे वहां कोयला खदानों में काम किया करते थे। कुछ दिन काम करने के बाद दशरथ मांझी फिर गांव लौट आए. इसके बाद गांव के जमींदार ने इन्हें काफी प्रताड़ित किया क्योंकि दशरथ मांझी उस जमींदार का बंधुआ मजदूर हुआ करते थे .

इसलिए उन्हें काफी मारा पीटा भी गया था। दशरथ मांझी उस समय अपने समुदाय के लोगों में काफी ज्यादा जागरूक थे.

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Dasharath Manjhi biography
Dasharath Manjhi biography

 पिछड़े हुए समाज के रूप में जाने जाते हैं

वस्तुतः इनके समुदाय के लोगों को मुसहर जाति के नाम से जाना जाता है. मुसहर इसीलिए कहते हैं, कि मुसहर समुदाय के लोग मूष  (चूहे ) को खाते है। बिहार में उनके समुदाय के लोग आज भी काफी पिछड़े हुए समाज के रूप में जाने जाते हैं।

मूसहर जाति के लोग आज भी अपने छोटी मोटी जरूरतों के लिए  ऊंची जाति के लोगों के ऊपर निर्भर करते हैं।

मुसहर समुदाय के लोग काफी ज्यादा मेहनती होते हैं

मुसहर समुदाय के लोग काफी ज्यादा मेहनती होते हैं. वे लोग मुख्यतः खेती विहीन लोग हैं. जो अपनी गुजारा किसानों के खेतों में काम करके अपना भरण-पोषण करते हैं, फिर भी इनके समाज के लोगों को आज भी खाने के लिए दाने दाने के लिए मोहताज रहते हैं।

मुसहर समुदाय के लोगों के लिए बिहार सरकार तथा केंद्र सरकार  में आरक्षण कर रखा है. जिससे इनकी विकास हो.

फिर भी इन का विकास मनुकूल नहीं है. मुसहर समुदाय के लोगों की साक्षरता दर आज भी बहुत ही कम है. इनके समाज में लड़कियों को बाल विवाह कर दिया जाता है. जिससे लड़कियों का स्वास्थ्य दिन प्रतिदिन गिरता चला जाता है.

अत्यधिक गरीबी के कारण मुसहर समुदाय के बच्चे बचपन से ही काम करना कर शुरू कर देते हैं, जिनसे  इनका स्वास्थ्य खराब हो जाता है. इसी समाज में दशरथ मांझी का जन्म हुआ था.

Dashrath Manjhi Wife in Hindi

दशरथ मांझी का फगुनी देवी से विवाह हुआ था

Dashrath Manjhi का फगुनी देवी से बचपन में ही विवाह हो गया था. Dashrath Manjhi बंधुआ मजदूर के रूप में जमींदार के घर तथा खेत में काम किया करते थे. इसी खेती के क्रम में एक दिन वे गांव से दूर पहाड़ के दूसरी तरफ खेतों में काम कर रहे थे.

इनकी धर्मपत्नी फगुनी देवी इनके लिए दोपहर का खाना तथा पानी लेकर के पहाड़ पर चढ़कर आ रही थी.

दशरथ मांझी अपने  पत्नी से अथाह प्रेम किया करते थे. Dashrath Manjhi हमेशा से ही अपने पत्नी के लिए तरह तरह के सपने देखा करते थे तथा भरसक कोशिश किया करते थे, कि वह हमेशा अपनी पत्नी को खुश रख सके, लेकिन भगवान को कुछ और ही मज़ूर था।

उस दिन उनकी पत्नी दशरथ मांझी के लिए खाना तथा पानी लेकर खेत पर इनके पास आ रही थी, तो पहाड़ के शिखर से पैर फिसलने के कारण पहाड़ की खाई में गिर गई. जिससे इनकी पत्नी काफी ज्यादा घायल हो गई.

फगुनी देवी के शरीर से काफी मात्रा में खून बह गया. अस्पताल दूर  होने के कारण समय पर अस्पताल नहीं पहुंचा जा सका। जिससे फगुनी देवी का अल्प आयु में ही मौत हो गई.

Dashrath Manjhi Wife in Hindi

दुनिया को इतनी जल्दी अलविदा नहीं कहती

Dashrath Manjhi पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा. दशरथ मांझी काफी विचलित हो गए। वह हमेशा अपनी पत्नी की याद में दुखी रहने लग गए थे. दशरथ मांझी अकेले में बैठ कर अपनी पत्नी की यादों में खोए रहते थे.

दशरथ मांझी ने सोचा कि गहलौर पर्वत के कारण ही उनकी पत्नी की जान गई है. उन्होंने यह भी सोचा कि इस पहाड़ के साथ में या कहें बीचो बीच रास्ता होता तो शायद फगुनी देवी इस दुनिया को इतनी जल्दी अलविदा नहीं कहती।

दशरथ मांझी ने सोचा कि जिस तरह से उनकी पत्नी का निधन हो गया है, गांव के और अन्य किसी की जान न जाए इसके लिए उन्होंने संकल्प लिया कि इस पहाड़ के बीचोबीच काटकर रास्ता का निर्माण करेंगे.

इसके लिए वे औजार के रूप में छेनी तथा हथौड़ी का इस्तेमाल करते हुए रास्ता बनाना शुरू किया। दशरथ मांझी जब पहाड़ को तोड़ना शुरू किए तो गांव के लोगों ने इन्हें पागल समझने लगे और उन्हें लगा कि अपने  पत्नी के निर्धन होने के कारण दिमागी रूप से पागल हो गए हैं। जिससे वे इस तरह के हरकत करने लगे है।

Dashrath Manjhi Road in Hindi

एक रास्ते का निर्माण करते जा रहे थे

गांव के कई लोगों ने ऐसे करने से मना भी किया, लेकिन दशरथ मांझी ने एक न सुनी तथा वे अपनी लगन से पहाड़ को तोड़ना शुरू कर दिए। वे दिन प्रतिदिन पहाड़ को तोड़ते तोड़ते एक पहाड़ के बिच से एक रास्ते का निर्माण करते जा रहे थे.

गांव के जमींदारो ने इनकी शिकायत पर्यावरण विभाग गया में कर दिये. इनकी शिकायत करने के बाद वन विभाग ने इन्हें पहाड़ तोड़ने से कई बार मना किया.

वन विभाग के अधिकारियों को लगता था, कि यह पत्थर को तोड़कर इसका व्यापार करते है. वन विभाग के अधिकारियों को इन्होने समझाया कि, वे केवल रास्ता बनाना चाहते हैं फिर भी इन्हें इसकी इजाजत नहीं मिली और इन्हें कई बार वार्निंग दिया गया कि, वे इसको करने से नहीं माने तो उन्हें इसके लिए जेल जाना पड़ सकता है.

फिर एक पत्रकार ने इनकी मदद की। उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों को समझाया कि, वे केवल यहां पहाड़ को तोड़कर रास्ता ही बना रहे हैं।  तब जाकर पर्यावरण विभाग के अधिकारी माने.

Dashrath Manjhi Road in Hindi
Dashrath Manjhi Road in Hindi

Dashrath Manjhi Road in Hindi

अपनी धुन में पहाड़ को तोड़ते रहे

1966 में बिहार में महा अकाल पड़ा था। जिससे खाने पीने की विकट स्थिति उत्पन्न हो गई थी। जिसके कारण गहलौर पंचायत के सभी गांव के लोग गांव  छोड़कर पलायन कर रहे थे। जिससे कि उनका जीविकोपार्जन हो सके, लेकिन दशरथ मांझी ने गांव वालों के साथ ना जा कर के अपनी धुन में पहाड़ को तोड़ते रहे। उस समय पूरा गांव खाली हो गया था। लेकिन फिर भी दशरथ मांझी ने हार न मानी।

दशरथ मांझी को भी खाने पीने की उनके सामने विकट स्थिति उत्पन्न हो गई थी. इस स्थिति मे दशरथ मांझी ने पेड़ों की पत्तियां खाकर तथा नालों के गंदे पानी पीकर के अपना जीवन को बचाए रखा तथा इस बीच पहाड़ के काम को तोड़ना बंद नहीं किया.

जैसे कि इन्हें पहाड़ तोड़ने से उन्हें पैसे मिल रहे हो. दशरथ मांझी एक दिहाड़ी मजदूर की तरह प्रतिदिन सुबह से शाम तक पहाड़ के तोड़ने के  काम में लगे रहते थे. दशरथ मांझी काम को कभी भी छोड़ा नहीं.

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अभी भी पहाड़ को तोड़ने में लगे हुए हैं

जब गांव में बारिश होना शुरू हुआ तो जो लोग पलायन कर गए थे वह पुःन  वापस आने लगे. जब गांव वालों ने देखा कि अभी भी पहाड़ को तोड़ने में लगे हुए हैं तो लोगों ने इन्हें पगलेट ( मगही भाषा में पागल को कहते है ) कहना शुरू कर दिये .

Dashrath Manjhi Family in Hindi

गांव के कुछ बुजुर्गों ने समझाया की दशरथ मांझी तुम्हारे दो छोटे-छोटे बच्चे हैं, उसके लिए कम से कम खाना खाने के लिए कुछ काम तो करो लेकिन दशरथ मांझी ने किसी की एक बात न सुनी.

दशरथ मांझी अपनी धुन में अपने काम में लगे रहे और उन्होंने लोगों को कहा कि जब तक हम तोड़ेंगे नहीं तब तक हम छोड़ेंगे नहीं

इन्हें औजार देकर दशरथ मांझी को मदद किया

पहले तो लोगों ने इसके इस कार्य को मजाक उड़ाया था, लेकिन जब उनको लगा कि दशरथ मांझी ने एक अच्छा काम किया है, जिससे उनके जीवन काफी सरल हो गया है, तो गांव के लोगों ने इन्हें उनके कार्य को काफी सराहा।

तो कुछ लोगों ने इनको इस कार्य को देखने के बाद इनके काम में मदद की भी पेशकश की तथा कुछ लोगों ने इन्हें खाने के लिए खाना तथा इन्हें औजार देकर दशरथ मांझी को मदद किया। Dashrath Manjhi की अपने शब्दों में कहा की, “पहले पहले गांव वालों ने मुझ पर ताने कसे लेकिन उनमें से कुछ नहीं मुझे खाना  देकर और औजार खरीदने में मेरी मदद कर सहायता भी की”

Dashrath Manjhi Story In Hindi
Dashrath Manjhi Story In Hindi

गहलौर पर्वत के बीच से 360 फीट लंबी 30 फुट चौड़ी 

Dashrath Manjhi Path in Hindi

Dashrath Manjhi ने गहलौर पर्वत को 1960 से 1982 तक कुल 22 साल तक तोड़ते रहे. दशरथ मांझी ने अपने कड़े परिश्रम के द्वारा गहलौर पर्वत के बीच से 360 फीट लंबी 30 फुट चौड़ी और 25 फुट गहरी एक रास्ता का निर्माण कर दिया.

इस रास्ता के बनने से गहलौर तथा वजीरगंज के बीच की दूरी 55 किलोमीटर से घटकर केवल 15 किलोमीटर रह गया. बाद में बिहार सरकार ने इस रोड का नाम Dashrath Manjhi Path कर दिया।

Dashrath Manjhi Path in Hindi

परिचय इंदिरा गांधी को कराया गया

1975 में भारत के निवर्तमान प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पूरे देश में आपातकाल की घोषणा कर दि थी। जिससे देश की स्थिति काफी ज्यादा दयनीय हो गई थी. उसी समय इंदिरा गांधी ने गहलौर में एक चुनावी सभा को संबोधित करने आई थी. एक पत्रकार के सहयोग से उनका परिचय इंदिरा गांधी को कराया गया. उस पत्रकार ने दशरथ मांझी के बारे में इंदिरा गांधी को बताया था.

जिससे इंदिरा गांधी काफी प्रभावित हुई थी. इंदिरा गांधी ने दशरथ मांझी के साथ एक फोटो भी खिंचवाई थी तथा अगले दिन दशरथ मांझी के बारे में देश के प्रमुख समाचार पत्रों में इनका समाचार छपा था. इंदिरा गांधी ने Dashrath Manjhi के काम से प्रभावित होकर इनके गांव में एक सड़क बनाने के योजना को मंजूरी दी थी लेकिन गांव के जमींदारों ने चतुराई से सड़क बनाने की 2500000 रुपए हड़प लिए.

बाद में दशरथ मांझी को यह बात चला तो वे काफी दुखी हुए थे और उन्होंने यह बात बताने के लिए दिल्ली जाने का फैसला किया ताकि इस घोटाले की बात को इंदिरा गांधी को बताया जा सके.

दिल्ली तक का सफर पैदल पूरा किया

दशरथ मांझी ने गया से दिल्ली के लिए ट्रेन पर  सवार हुए लेकिन पैसे नहीं होने के कारण इन्होंने ट्रेन का टिकट नहीं लिया था. ट्रेन में जब टिकट चेकर ने इन्हें टिकट नहीं होने के कारण गया से कुछ ही दूर चलने के बाद रास्ते में ही उन्हें  उतार दिया. दशरथ मांझी इससे काफी दुख हुआ और उन्होंने आगे की रास्ता पैदल ही जाने का फैसला किया. दशरथ मांझी ने रेल की पटरियों को ही पकड़ कर दिल्ली तक का सफर पैदल पूरा किया.

खबरों में छपे अपने फोटो के टुकड़े को उन्हें दिखाया

दिल्ली पहुंचने के बाद वे सीधे प्रधानमंत्री आवास पहुंच गए और उन्होंने वहां उपस्थित सुरक्षाकर्मियों को अपना परिचय दिया तथा निवर्तमान प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ अखबारों में छपे अपने फोटो के टुकड़े को उन्हें दिखाया लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने इनका अपॉइंटमेंट नहीं होने के कारण उनके साथ बेरुखी से पेश आए.

प्रधानमंत्री आवास पर उपस्थित सुरक्षाकर्मियों ने उनके प्रधानमंत्री के साथ फोटो को भी फाड़ दिया. सुरक्षाकर्मियों ने बदसलूकी करते हुए उन्हें वहां से भगा दिया. दशरथ मांझी को काफी  दुख हुआ कि वह दिल्ली पहुंचने के बाद भी निवर्तमान प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मिल नहीं पाये. दशरथ मांझी दिल्ली से वापस अपने गांव गहलौर आ गये.

मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया था

नीतीश कुमार से मिलने दशरथ मांझी मुख्यमंत्री के जनता दरबार में भी गए थे. जहां नीतीश कुमार जी ने दशरथ मांझी को सम्मान देते हुए मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कुछ समय के लिए बैठाया था तथा नीतीश कुमार ने उनके गांव के आसपास विकास के लिए भरसक मदद करने की भरोसा भी दिया था.

Dashrath Manjhi Story In Hindi
Dashrath Manjhi Story In Hindi

नाम बदल कर दशरथ नगर कर दिया गया

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दशरथ मांझी को पर्वत पुरुष का सम्मान दिया. नीतीश कुमार की पहल पर ही दशरथ मांझी के नाम पर बिहार में दशरथ मांझी कौशल विकास योजना की शुरुआत की गई . नीतीश कुमार के पहल पर ही दशरथ मांझी के मृत्यु पश्चात इनकी राजकीय सम्मान के साथ दाह संस्कार गहलौर में किया गया था.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी ने उनके समाधि स्थल के समीप उनके सम्मान में पीपल का पेड़ भी लगाया जो आज एक वृक्ष का रूप ले चुका है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनके गांव में पंचायत भवन, किसान भवन तथा ओपी का उद्घाटन एक साथ एक ही दिन किया था. दशरथ मांझी का जन्म वस्तुत गहलौर पंचायत के बंसी बीघा गांव में हुआ था. दशरथ मांझी के मृत्यु के बाद बिहार सरकार ने इन के सम्मान में इनके गांव का नाम बदल कर दशरथ नगर कर दिया गया.

Dashrath Manjhi village Dashrath Nagar
Dashrath Manjhi village Dashrath Nagar

दशरथ मांझी का निर्धन

दशरथ मांझी पित्ताशय के कैंसर से पीड़ित थे. बिहार सरकार के हस्तक्षेप से उनका इलाज दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान से किया गया लेकिन फिर भी इन्हें बचाया नहीं जा सका. दशरथ मांझी का मृत्यु 17 अगस्त 2007 को दिल्ली स्थित एम्स में ही हो गया.

बिहार सरकार ने इनके राजकीय सम्मान के साथ इनका अंतिम संस्कार गहलौर में किया गया. मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने दशरथ मांझी के नाम पर एक सड़क का निर्माण तथा एक अस्पताल का निर्माण करवाने का फैसला किया.

माउंटेन मैन दशरथ मांझी के नाम पर डाक टिकट

बिहार सरकार ने इन्हें पर्वत पुरुष की उपाधि से सम्मानित किया तथा उन्हें माउंटेन मैन के रूप में विश्व विख्यात हो गए. बिहार सरकार ने इन की उपलब्धि के लिए 2006 में पदम श्री हेतु इनका  नाम का प्रस्ताव रखा लेकिन इन्हें यह सम्मान प्राप्त ना हो सका.

2015 में वर्तमान बीजेपी सरकार में संचार तथा सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ऐलान किया की माउंटेन मैन दशरथ मांझी के नाम पर डाक टिकट जारी होंगे. जिसे सरकार ने पूरा करते हुए 26 दिसम्बर 2016 में दशरथ मांझी के नाम पर ₹5 का भारतीय डाक टिकट जारी किया गया जो सभी भारतीय डाकघरों में उपलब्ध है.

Dashrath Manjhi postal stamp
Dashrath Manjhi postal stamp

Dashrath Manjhi Movie in Hindi

मांझी द माउंटेन मैन एक फिल्म का निर्माण

दशरथ मांझी अपनी मृत्यु से पहले उन्होंने केतन मेहता को अपने जीवन पर फिल्म बनाने का पूर्व अनुमति दिए  थे. केतन मेहता ने 2012 में उनके बायोग्राफी पर मांझी द माउंटेन मैन के नाम से एक फिल्म का निर्माण किया. जिसमें इनका किरदार नवाज़ुद्दीन सिद्धकी ने तथा उनकी पत्नी फगुनी देवी  का किराएदार राधिका आप्टे ने निभाई थी.

इस फिल्म के बनने के बाद दशरथ मांझी का विश्व पटल पर विख्यात हो गए. इसके पूर्व भी 2012 में इन पर एक वृत्तचित्र का निर्माण किया गया था. जिसका निर्माण कुमुद रंजन ने ” द मैन हु मूव्ड द माउंटेन” के नाम से वृत्तचित्र का निर्माण किया था.

दशरथ मांझी के कार्यों का एक कन्नड़ फिल्म ऑलवे मंदार में भी दिखाया गया था. इसका निर्माण जयतीर्थ के द्वारा किया गया था।

Dashrath Manjhi Movie in Hindi
Dashrath Manjhi Movie in Hindi

Dashrath Manjhi Son  in Hindi

उनके परिवार में उनका बेटा भागीरथ मांझी है

दशरथ मांझी का एक बेटा है, जिसका नाम भागीरथ मांझी है. भागीरथ मांझी के पत्नी का नाम बसंती देवी है लेकिन बसंती देवी का एक अप्रैल 2014 को चिकित्सा देखभाल नहीं होने के कारण उनकी मृत्यु हो गई.

अभी उनके परिवार में उनका बेटा भागीरथ मांझी है. गांव के आसपास के लोग दशरथ मांझी को उनके सम्मान में दशरथ बाबा के नाम से पुकारते हैं।

वह बताते हैं, कि इन की कहानियां गांव गांव में बच्चों के बीच काफी मशहूर है. आज के परिवेश में दशरथ नगर एक टूरिस्ट प्लेस के रूप में गया में उभरकर आ रहा है. जो लोग गया भ्रमण पर आते हैं,वह गहलौर घूमने जरूर जाते हैं.

Dashrath Manjhi Son Bhagirath Manjhi

सत्यमेव जयते पहला एपिसोड Dashrath Manjhi के नाम पर

मार्च 2014 में बॉलीवुड अभिनेता अमीर खान ने अपने टीवी सीरियल सत्यमेव जयते का पहला एपिसोड दशरथ मांझी के नाम पर समर्पित था. इस सीरियल को प्रचार प्रसार के लिए Dashrath Manjhi के गांव गहलौर भ्रमण किया था ताकि इसका व्यापक प्रचार-प्रसार हो. अभिनेता आमिर खान ने उनके परिवार के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने का भी आश्वासन दिया था. बॉलीवुड अभिनेता आमिर खान के साथ वर्तमान नेता राजेश रंजन ने भी इनके गांव का भ्रमण किया था.

आज के युवाओं को एक प्रेरणा स्त्रोत है, Dashrath Manjhi

Dashrath Manjhi आज के युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत के रूप में विख्यात हो गए. बिहार सरकार के सहयोग से दशरथ मांझी का एक आदम कद प्रतिमा का भी स्थापना किया गया है. जो आज के युवाओं को एक प्रेरणा स्त्रोत है. उन्होंने एक प्रेरणा दी की आप में कठिन संकल्प हो, तो पहाड़ क्या चीज है, पहाड़ को भी आप हटने के लिये मज़बूर कर सकते है।  

Dashrath Manjhi Story In Hindi
Dashrath Manjhi Story In Hindi

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1 thought on “Dashrath Manjhi Story In Hindi | Road | Path | Wife”

  1. दशरथ मांझी आज के युवाओं के लिए प्रेरणा के श्रोत है। आपने बहुत अच्छे से विस्तार से बताया । धन्यवाद

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