दिनेश लाल यादव निरहुआ को सर पर हरमोनियम ढोलक लेकर क्यों आना पड़ा

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दिनेश लाल यादव निरहुआ को सर पर हरमोनिया तथा ढोलक लेकर क्यों आना पड़ा था

दिनेश लाल यादव निरहुआ ने अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए बताया कि जब वे नए-नए थे तो वह दूर-दूर तक बिरहा गायन के प्रोग्राम देने के लिए जाते थे. दिनेश लाल यादव निरहुआ बताते हैं कि उनकी उस समय इतनी माली हालत अच्छी नहीं थी. उनके जेब में इतने कम पैसे होते थे कि कभी-कभार उन्हें पैदल ही आना पड़ता था.

भाड़ा देने के बाद दिनेश लाल के जेब में पैसे नहीं बचते थे

अपने पुराने दिन याद करते हुए दिनेश लाल यादव निरहुआ बताते हैं कि लोग उन्हें गाने बजाने के लिए बुलाते थे, तो वे दूर-दूर तक इसके लिए जाते थे, जाते समय तो अपने पैसे का गाड़ी भाड़े का पैसा दे देते थे. भाड़ा देने के बाद उनके जेब में पैसे नहीं बचते थे. जिस प्रोग्राम को करने जाते, सोचते थे कि आने के लिए तो पैसे उन्हें मिल ही जाएंगे. क्योंकि जहां गए थे प्रोग्राम करने आयोजनकर्ता तो उन्हें पेमेंट करेगा ही. इसी सोच के वह जाते थे.

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पैदल ही अपने हरमोनियम  ढोलक को अपने सर पर उठा कर लाना पड़ता

पूरी रात रात भर प्रोग्राम करने के बाद आयोजनकर्ता उन्हें पैसे नहीं देते थे. जिसके कारण उन्हें कई बार पैदल ही अपने हरमोनियम  ढोलक को अपने सर पर उठा कर लाना पड़ता था. क्योंकि आयोजनकर्ता उन्हें पेमेंट नहीं करते थे. आयोजनकर्ता के भरोसे वह वहां जाते थे. आने के क्रम में उन्हें भाड़े के रूप में सारा पैसा खर्च हो जाता था, और वापस जाने के लिए उनके जेब में कुछ भी नहीं बचते थे और ऊपर से उन्हें आयोजनकर्ता रात भर प्रोग्राम करने के बाद भी उन्हें मेहनताना नहीं दिया जाता था.

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तुमसे मिलने के लिए एक दिन वे तरसें

इसे दिनेश लाल यादव निरहुआ कई बार अपने गायन बादन छोड़ने की बात उनके दिमाग में आया था. तब उनके पिता जी ने धाढ़स  देते हुए कहा था कि इस काम को मत छोड़ो और तुम कुछ ऐसा करो जो तुम्हें आज लोग जो नेगलेट कर रहे हैं, तुमसे मिलने के लिए एक दिन वे  तरसें. दिनेश लाल यादव निरहुआ को यह बात अंदर दिल में बैठ गई और उन्होंने  गायन वादन की कला को अगले मुकाम पर ले जाने की कोशिश में लग गए.

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SK sinha: हेलो दोस्तों, मेरा नाम एस. के. सिन्हा है. मुझे ऑनलाइन डिजिटल मार्केटिंग, नया टेक्निकल डेवलपमेंट, मोबाइल तथा कर्रेंट न्यूज़ के बारे में पढ़ना और लोगो को बताना पसंद है. किसी नॉलेज का सबसे अच्छा इस्तेमाल यही है की उसे सीखो और दुसरो तक पंहुचा दो. हम यह यही करेंगे. अब जैसे जैसे इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ रहा है वैसे ही इंडिया भी डिजिटल होता जा रहा है. तो हम भी कुछ सीखेंगे कुछ सिखाएगे, इंडिया को थोड़ा और डिजिटल तथा युवाओ को ससकत बनायगे.
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