मानपुर की एक प्रतिभा आदर्श ने बॉलीवुड में दिखाया अपना हुनर
देश को दर्जनों आइआइटीयंस देने वाला मानपुर का पटवा टोली हो या फिर यहां के दूसरे मोहल्ले, यहां की प्रतिभाएं सबका ध्यान आकृष्ट करती रहीं हैं। अपनी कप्तानी में अंडर 19 वर्ल्ड कप क्रिकेट जीत कर लाने वाले पृथ्वी शॉ भी मानपुर के ही हैं।
अब इसी मानपुर की एक प्रतिभा आदर्श ने बॉलीवुड में अपना हुनर दिखाया है। आदर्श के डिजाइन किए गहने बॉलीवुड फिल्म ‘मणिकर्णिका’ में झांसी की रानी (कंगना राणावत) के गले की शोभा बढ़ाते दिख रहे हैं।
मां और चाचा ने किया प्रोत्साहित
आदर्श का पैतृक घर गया के मानपुर में स्थित पुलिस अड्डा के समीप है। आदर्श को इस मुकाम तक पहुंचाने में उनकी मां मां नीलिमा देवी और चाचा गुप्तेश्वर स्वर्णकार का काफी योगदान रहा।
ऐसे में आश्चर्य नहीं कि बेटे की इस सफलता पर मां नीलिमा देवी बेहद खुश हैं। कहती हैं, आदर्श ने इस ऊंचाई को छूकर पूरे परिवार का मान बढ़ा दिया।
Manpur Patwatoli Adarsh,
निफ्ट में पढ़ाई के दौरान मनवाया हुनर का लोहा
आइएससी करने के बाद आदर्श का चयन नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ फैशन डिजाइन (निफ्ट) में हो गया। इसके बाद 2009 में वे पढ़ाई के लिए हैदराबाद चले गए। उन्होंने पढ़ाई पूरी होने के बाद इंटर्नशिप करते-करते अपने हुनर से सबको प्रभावित किया।
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गहने डिजाइन करने में लगे डेढ़ साल
मणिकर्णिका के गहने डिजाइन करने में उन्हें और उनकी टीम को करीब डेढ़ साल लगा। वे वहां आम्रपाली ज्वेलर्स में इंटर्नशिप कर रहे थे। उनकी प्रतिभा को देखते हुए उन्हें सीनियर डिजाइनर बना दिया गया।
उन्होंने आम्रपाली के लिए पांच सौ से ज्यादा गहने डिजाइन किए हैं। उन्होंने प्राचीन शैली को देखा और उसे एक नया कलेवर देने की कोशिश की।
मणिकर्णिका के गहने
शिल्पा व आलिया ने भी बनवाए गहने
आदर्श ने बताया कि फिल्म मणिकर्णिका में झांसी की रानी बनी कंगना राणावत के लिए उन्हें गहने डिजाइन करने का मौका मिला तो इसे बेहतर से बेहतर बनाने की कोशिश की। अब लोग इसकी तारीफ कर रहे हैं तो बहुत अच्छा लग रहा है। इसके पहले अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी, आलिया भट्ट व अदिति राव ने भी आदर्श से अपने लिए गहने बनवाए हैं।
देसी कला के साथ मुगलकालीन शिल्प का अहसास
इतिहासकार अरविंद महाजन कहते हैं कि फिल्म में मणिकर्णिका ने जो गहने पहने हैं, उनसे देसी कला के साथ मुगलकालीन शिल्प का अहसास होता है। गहनों पर आधुनिकता का भी रंग है।
महाजन बताते हैं कि रानी लक्ष्मीबाई का काल 1828 से 1859 का है। उस समय जो आभूषण प्रचलित थे, उन्हें आधुनिक ढांचे में ढालकर खूबसूरत बनाया गया है। आदर्श के हुनर ने पूरे गया का मान बढ़ाया है।
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