Top Ten Gaya Tourist Places In Hindi

गया की खूबसूरती का राज इसके चारो ओर फैली पर्वत श्रृंखला है

गया राजधानी पटना शहर से 100 किलोमीटर दूर स्थित है। ऐतिहासिक रूप से, गया प्राचीन मगध साम्राज्य का हिस्सा था। यह शहर फल्गु नदी के तट पर स्थित है और हिंदुओं के लिए सबसे पवित्र शहरों में से एक माना जाता है। गया दर्शन ऐतिहासिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से गया का विशेष महत्व रहा है।

Gaya Tourist Places In Hindi

Falgu_River_Gaya_Morning_View
Falgu_River_Gaya_Morning_View

गया की खूबसूरती का राज इसके चारो ओर फैली पर्वत श्रृंखला है। गया तीन पहाड़ियों मंगला-गौरी, श्रिंगा-स्थान, राम-शिला और ब्रह्मयोनी तीन तरफ से घिरा हुआ हैं और एक सुरक्षित और सुंदर जगह हैं।

Gaya Tourist Places In Hindi

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गया महान विरासत और इतिहास अपने में समेटे हुआ है

गया एक प्राचीन जगह है, इसमें महान विरासत और इतिहास अपने में समेटे हुआ है। गया आने जाने के लिये वायु ,रेल, सड़क सभी मार्ग से गया अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। भारत के बाकी हिस्सों के साथ साथ बिहार के अन्य प्रमुख शहरों के साथ गया अच्छी तरह से जुड़ा हुआ  हैं।  गया के मंदिर व गया की ऐतिहासिक इमारते गया तीर्थ के रूप में पेश करती है।

गया हिंदुओं के लिए बल्कि बौद्धों के लिए भी पवित्र है

गया न केवल हिंदुओं के लिए बल्कि बौद्धों के लिए भी पवित्र है। गया में कई बौद्ध तीर्थ स्थल हैं। गया में ये पवित्र स्थान भौतिक विशेषताओं से मेल खाते हैं, जिनमें से अधिकांश स्वाभाविक रूप से होते हैं। फल्गु नदी के किनारे पर स्थित विष्णु मंदिर काफी सुंदर और आकर्षक हैं। फल्गु नदी के तट पर एक पीपल के पेड़ को अक्षयवट कहा जाता है, जिसे हिंदुओं के लिए पवित्र माना जाता है। पेड़ की दिव्यता के लिए पूजा की जाती है 

Bodhgaya_Mandir_Photo_Mahabodhi_Temple
Bodhgaya_Mandir_Photo_Mahabodhi_Temple

गया और बौद्धगया की आप सैर की योजना बना रहे है, तो हमारी यह पोस्ट आपके लिए सुविधाजनक हो सकती है। अपने इस लेख में हम आपको गया दर्शन, गया के पर्यटन स्थल, गया दर्शनीय स्थल, गया के मंदिर, गया तीर्थ स्थल, गया के आकर्षक स्थलो की जानकारी हिंदी में उपलब्ध करा रहे है।

गया और बौद्धगया के बीच की दूरी लगभग 11 किलोमीटर है

गया दो अलग अलग नगर है। गया और बौद्धगया के बीच की दूरी लगभग 11 किलोमीटर है। सबसे पहले हम गया के दर्शनीय स्थलो के बारे में जानेगें और गया दर्शन करेगें।

गया दर्शन – गया शहर के दर्शनीय स्थल

Gaya Tourist Places In Hindi

ब्रह्मयोनी

गया से लगभग 2 कि.मी. दूर यह पहाड़ है। लगभग 1000 सीढी ऊपर ब्रह्ममाजी का मंदिर है। इस पहाड़ पर दो गुफा है। इन्हें दो गुफाओं को ब्रह्ममयोनि और मातृयोनि कहते हैं। लोग इनके नीचे सोकर आर-पार निकलते हैं। जिनके बारे में कहा जाता है कि इन गुफाओ के अंदर से पार निकलने पर आवागमन से मुक्ती मिल जाती है। वैसे आजकल यह गुफाएं बंद है।

पर्वतशिखर से कुछ नीचे ब्रह्ममकुण्ड नामक पक्का सरोवर है। सरस्वती और सावित्रीकुण्ड, ब्रह्ममयोनि पर्वत के नीचे दो पक्के कुण्ड हैं। सावित्रीकुण्ड का जल स्वच्छ रहता है। यहाँ सावित्री मन्दिर है। यहीं पर कर्मनाशा सरोवर है। 

Bharam_Sarovar_Gaya
Bharam_Sarovar_Gaya

गया के दक्षिण में स्थित, ब्रह्ममयोनि हिल, गया में सबसे ऊंची पहाड़ी का चोटी का नाम है। इसके शिखर पर स्तिथ मंदिर में जिसे माना जाता है कि भगवान ब्रह्मा की महिला शक्ति या योनि का प्रतिनिधित्व किया जाता है।

पहाड़ी पर एक छोटे से मंदिर में पांच सिर वाली देवी की पूजा, ब्रह्मा यानी ब्रह्मायनी की देवी शक्ति के रूप में की जाती है। यह मंदिर बालाजी पंडित नामक एक मराठा प्रमुख द्वारा बनाया गया था। पहाड़ी पर एक शिलालेख 1843 ईस्वी में ग्वालियर के जयजी राव सिंधिया के शासनकाल में राव भाउ साहेब द्वारा पहाड़ी के निचे से ऊपर तक सीढ़ियों के निर्माण का विवरण है। ब्रह्ममयोनि हिल हिंदुओं के लिए एक पवित्र स्थान है। यहाँ बड़ी संख्या में पितृक्षक्ष मेला के दौरान यहां पिंडदान के लिये लोग जाते है।

अशोक स्तूप

अशोक स्तूप गया से लगभग दो  किलोमीटर दक्षिण की ओर ब्रह्मयोनि पहाड पर स्थित है। बौद्ध साहित्य के अनुसार सम्राट अशोक ने महात्मा बुद्ध की स्मृति में अशोक स्तूप का निमार्ण करवाया था। इसकी कलाकृति दर्शनीय है।

सूर्य कुण्ड

विष्णुपद मंदिर के पश्चिमी तरफ स्थित सूर्य कुंड, गया के सबसे प्रमुख पर्यटक आकर्षणों में से एक है। यह एक तालाब है और एक लोकप्रिय धारणा के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि इस तालाब में एक पवित्र डुबकी एक व्यक्ति को सभी पापों से मुक्त करता है। यह मगध का सबसे प्राचीन सरोवर है।

सूर्य पूजा से जुडे इस तालाब का धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व है। विष्णुपद मंदिर से थोड़ी ही दूरी पर यह सरोवर है। इस कुण्ड का उतरी भाग उदीची, मध्यभाग कनखल और दक्षिण भाग दक्षिण मानस तीर्थ कहलाता है। इस कुण्ड के पश्चिम में एक मंदिर है, जिसमे सूर्य नारायण की चर्तुभुज मूर्ति है, जिसे दक्षिर्णाक कहते हैं। सूर्यकुण्ड से 80 गज दक्षिण में फल्गु किनारे जिह्मलोल और एक पीपल का वृक्ष है।

Bharam_Sarovar_Gaya
Bharam_Sarovar_Gaya

सूर्यकुंड छठपर्व के दौरान पर्यटकों द्वारा यह जगह भरा रहता है| छठ पर्व बिहार का सबसे पवित्र तथा सबसे ज्यादा प्रसिद्ध पर्व है | यह सूर्य उपासना का पर्व है | छठ पर्व जो साल में दो बार इस जगह पर आयोजित किए जाते हैं। पहला छठ पर्व मार्च और अप्रैल के महीने में मनाया जाता है, जबकि दूसरा त्यौहार सितंबर और अक्टूबर के महीने में मनाया जाता है।

छठ पर्व के शुभ अवसर पर हजारों छठवर्ती  द्वारा यहाँ सूर्य भगवान को अर्ग दिया जाता है। इस समय के दौरान, सूर्य भगवान की पूजा की जाती है और आस-पास के स्थानों से आये छठवर्ती  सूर्य कुंड के पवित्र जल में डुबकी लगाते हैं।

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गया सिर

विष्णुपद मंदिर से दक्षिण में गया सिर स्थान है। एक बरामदे में एक छोटा कुण्ड है। गया सिर से पश्चिम एक घेरे में गया कूप है। गया सिर से थोड़ी दूर, यहां बारह भुजा वाली मुण्ड पृष्ठा देवी की मूर्ति है। यहां बरामदे में लोग पिण्डदान करते हैं।

रामगया सीताकुण्ड

विष्णुपद मंदिर के ठीक सामने फल्गु नदी के उस पार सीताकुण्ड है। यहां मंदिर में काले पत्थर का महाराज दशरथ का हाथ बना है। वहीं पर एक शिला है, जो भरता श्रम की वेदी कहलाती है।

Sitakund Vedi Gaya
Sitakund Vedi Gaya

इसी को रामगया कहते हैं। यहां मतंग ऋषि का चरण चिन्ह बना है तथा यहाँ अनेक देवी देवताओं की मूर्तियां है।

Sitakund_View_From_Falgu_River
Sitakund_View_From_Falgu_River

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उत्तरमानस

विष्णुपद से 1 कि.मी. उतर रामशिला मार्ग पर उतर मानस सरोवर है। इसमें चारों ओर पक्की सीढि़यां हैं। इसके पश्चिम में एक धर्मशाला है।  इसके उतर में एक मंदिर भी है। जिसमें उतरार्क सूर्य और शीतलादेवी की मूर्तियां है।

सरोवर के पश्चिमोतर कोण पर मौनेश्वर तथा पिता महेश्वर शिव-मंदिर है। यहां पर श्राद्ध करके यात्री मौन होकर सूर्यकुण्ड तक जाते हैं। सच बात तो यह है कि गया में पिण्डदान से पितरों की अक्षय तृप्ति होती है।

रामशिला

विष्णुपद से लगभग 8 किमी. उतर फल्गु नदी के किनारे रामशिला पहाड़ी है। 340 सीढ़ी उपर पहाड़ पर चढ़ने पर रामशिला तीर्थ का दर्शन होता है। पहाड़ी के नीचे रामकुण्ड नामक सरोवर है। सरोवर के दक्षिण एक शिव मंदिर है।

Ramshila_Hill_Gaya_View_From_Gaya_Junction
Ramshila_Hill_Gaya_View_From_Gaya_Junction

रामशिला में 20 सीढ़ी उपर एक श्रीराम मंदिर है। इसके जगमोहन में चरण- चिन्ह बना है। मंदिर के दक्षिण एक बरामदे में दो -तीन मूर्तियां है। श्रीराम के आने के पूर्व इस पहाड़ी का नाम प्रेतशीला था। 

गायत्री देवी

विष्णुपद-मन्दिर से 0.5 कि. मी. उत्तर फल्गु किनारे गायत्रीघाट है। घाट के ऊपर गायत्री देवी का मंदिर है। इसके उतर लक्ष्मीनारायण मंदिर है और वहीं पास में वभनीघाट पर फलवेश्वर शिव मंदिर है। उसके दक्षिण गयादित्य नामक सूर्य की चर्तुभुज मूर्ति एक मंदिर में है।

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अतिप्राचीन मार्कण्डेय मंदिर

अतिप्राचीन मार्कण्डेय मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। ऐसी मान्यता है कि मृकंडु ऋषि के पुत्र मार्कण्डेय ने शिवलिंग की स्थापना की थी। मृकंडु ऋषि व उनकी पत्नी ने संतान प्राप्ति के लिए भगवान शिव की कठिन तपस्या की थी, जिसके बाद भगवान शिव प्रकट होकर अल्पायु पुत्र होने का वरदान दिया, जिसकी आयु मात्र 12 वर्ष थी।

12 वर्ष पूरे होने में तीन दिन शेष थे। मृकंडु ऋषि ने अपने पुत्र मार्कण्डेय से कहा तीन दिन में हमारा-तुम्हारा साथ छूटने वाला है। तुम भगवान शिव की अराधना करो। मार्कण्डेय शिवलिंग को पकड़ तप करते रहे। समय पूरा होते ही यमराज उसका प्राण हरने आए, लेकिन बार-बार प्रयास के बाद भी असफल रहे।

भगवान शिव ने प्रकट होकर यमराज से कहा कि यह मेरी तपस्या में लीन है। तुम इसके प्राण नहीं हर सकते। इसके बाद मार्कण्डेय को इच्छा मृत्यु का वरदान मिला। मार्कण्डेय ने ही शिवलिंग की स्थापना की।

संकटादेवी

पितामहेश्वर विष्णुपद मंदिर से लगभग 350 गज दक्षिण संकटादेवी और पितामहेश्वर के मंदिर है।

अहिल्याबाई का मंदिर

इस मंदिर का निर्माण सन 1781 में महारानी अहिल्याबाई ने करवाया था। यह मंदिर “प्रेतशिला” पर्वत पर बना है। कहते है, कि इसी मंदिर की वजह से प्रेतशिला पर्वत संपूर्ण देश में प्रसिद्ध है। पर्यटक सबसे पहले इसी स्थान पर आना पसंद करते है। यह मंदिर गया दर्शन में प्रमुख मंदिर माना जाता है।

Pretshila Gaya History | Photo | Tourist Places In Gaya
Pretshila Gaya History | Photo | Tourist Places In Gaya

कमला देवी का मंदिर

यह मंदिर रामशिला दुखहरनी देवी से एक मील दूर है। यहा पिंडदान किया जाता है। इस पहाड पर चढने के लिए 357 सीढियां है।

मंगला गौरी का मंदिर

मंगला गौरी मंदिर के दर्शन के लिए 125 सीढियां चढनी पडती है। इस मंदिर की अपनी धार्मिक मान्यता है।
Maa Mangla Temple Gaya
Maa Mangla Temple Gaya

जनार्दन मंदिर

मंगला गौरी मंदिर के पास बना यह मंदिर अपने शिल्प के लिए गया दर्शन में महत्वपूर्ण है।

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विष्णुपद मंदिर, गया

विष्णुपद मंदिर को भारत के सभी वैष्णव मंदिरों में से सबसे पवित्र माना जाता है। विष्णुपद मंदिर जिस जगह पर बना हुआ है, वह भगवान विष्णु के प्रसिद्ध पौराणिक घटनाओं से जुड़ा हुआ है। इसी जगह पर राक्षस गायसुर को को भगवान विष्णु ने पैर से दवा कर वध कर दिये थे। इसी जगह पर चट्टान पर अपने पदचिह्न के निशान छोड़ भगवान विष्णु ने छोड़ दिये थे । जहाँ पर मंदिर में भगवान विष्णु के पूजा करते है।

Vishnupad_Temple_Evening_View
Vishnupad_Temple_Evening_View

फल्गु नदी के तट पर वर्तमान विष्णुपद मंदिर अठारहवीं शताब्दी के अंत में इंदौर की महारानी अहिल्या बाई होलकर ने बनाई थी, जिन्होंने जयपुर (राजस्थान) से 1,200 मूर्तियों को मंदिर में लगाने हेतु लाया गया था। गया के पथरकटी से भूरे ग्रेनाइट पत्थर लाया गया था। विष्णु पद मंदिर के निर्माण को पूरा करने के लिए लगभग बारह साल लगे थे ।

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