केले के तने से बिजली पैदा करने की खोज के पेटेंट ले चुके हैं
एक गरीब किसान परिवार में पैदा हुए भागलपुर (बिहार) के सत्रह वर्षीय वैज्ञानिक गोपालजी ने अपनी कई एक खोजों से प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री को ही चमत्कृत नहीं किया है, उन्हें ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियों से ऑफर आने लगे हैं। केले के तने और पेपर से बिजली पैदा करने की खोज के वह पेटेंट भी करा चुके हैं। वह कहते हैं, उनकी हर खोज सिर्फ देश की तरक्की के लिए है। युवा पढ़ाई के साथ रिसर्च भी करते रहें।
Youngest Scientist Of India Gopaljee
गोपालजी जब 8वीं क्लास में थे, एक दिन पिता के साथ खेतों में गए तो केले के तने का रस उनके शरीर पर लग गया। काफी कोशिश के बाद भी जब वो नहीं छूटा तो वह केले के रस से फाइबर रिसर्च बनाने पर सोचने लगे।
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गोपालजी से ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी तक गूंज गया
भागलपुर (बिहार) के ध्रुवगंज निवासी केला उत्पादक किसान प्रेम रंजन कुमार के वैज्ञानिक पुत्र गोपालजी ने घर ही में एक-पर-एक ऐसे कई आविष्कार कर दिए कि दुनिया दंग रह गई। नाम ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी तक गूंज गया। मात्र आठ साल की उम्र में आविष्कार पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने मुलाकात के दौरान सराहा और प्रोत्साहित ही नहीं किया, आगे की राह भी आसान कर दी। हैरत की बात ये है कि इस युवा वैज्ञानिक ने पहला आविष्कार तो हाईस्कूल पास करने से पहले ही कर दिया।
गोपालजी रोजाना ही खेत पर जरूर जाते रहते
सन् 2008 की बात है। उस वक्त गोपालजी की उम्र आठ साल थी। भागलपुर में बाढ़ आई तो उनके पिता के केले की सारी फसल बर्बाद हो गई। मात्र दस कट्ठा जमीन, उस पर केले की खेती से ही वह घर-गृहस्थी की गाड़ी खींच रहे थे। परिवार में मां ऊषादेवी के अलावा दो बड़ी बहनें मीनू और अन्नू हैं। गोपालजी पिता की तीसरी संतान हैं। वह अपने पिता के साथ कमोबेश रोजाना ही खेत पर जरूर जाते रहते।
नाते-रिश्तेदार तक पिता-पुत्र की हंसी उड़ाया करते
बाढ़ की आपदा ने गोपालजी को विचलित कर दिया। घरेलू खर्च थम गए। उन दिनो गोपलाजी के रंग-ढंग, तरह-तरह की खोज करने के जुनून पर गांव-पुर वाले, स्कूल के शिक्षकों से लेकर नाते-रिश्तेदार तक पिता-पुत्र की हंसी उड़ाया करते। लोग कहते कि गोपाल ये सब क्या कर रहा है। परिवार की माली हालत ऐसी है। ठीक से पढ़े-लिखेगा नहीं तो रोजी-रोजगार कैसे मिलेगा !
Youngest Scientist Of India Gopaljee
गोपाल ‘जी’ नाम भी टीचर कहते कि क्या उनको नाम के साथ जी भी लगाना होगा? तब गोपालजी झेंप उठते।
केले के रस से फाइबर बनाने पर सोचने लगे
खोज में व्यस्त गोपालजी उन दिनो स्कूली पढ़ाई के साथ-साथ इंटरनेट पर विज्ञान से जुड़े वीडियो देखा करते। डिस्कवरी चैनल और हॉलीवुड की फिल्में देखते रहते। इसी चक्कर में कई बार फेल भी हो गए। जब वह 8वीं क्लास में थे, एक दिन पिता के साथ खेतों में गए तो केले के तने का रस उनके शरीर पर लग गया। काफी कोशिश के बाद भी जब वो नहीं छूटा तो वह केले के रस से फाइबर बनाने पर सोचने लगे।
हजारों वाट बिजली पैदा हो सकती है
नौवीं क्लास में एक दिन स्कूल की लैब में प्रैक्टिकल के दौरान उनके एक दोस्त पर जब एसिड गिर पड़ा, तब भी वह चौंके क्योंकि काफी कोशिश पर भी एसिड नहीं छूटा था। उन्हीं दिनों उन्होंने पढ़ा कि इलेक्ट्रोलाइसिस करने पर एसिड चार्ज हो जाता है।
गोपालजी ने सोचा कि हमारे देश में हर साल लाखों टन केले के पेड़ अपशिष्ट में नष्ट हो जाते हैं, जबकि उनसे हजारों वाट बिजली पैदा हो सकती है। अब वह रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलने के आइडिया पर गंभीरता से काम करने लगे।
आधार बनाकर गोपाल ने ‘बनाना बायो सेल’ की खोज कर डाली
केले के थंब में प्राकृतिक रूप से सैट्रिक एसिड पाया जाता है। घर में इनवर्टर जैसे उपकरणों में प्रयोग होने वाली बैट्री में भी एसिड में दो अलग-अलग तत्व के इलेक्ट्रोड लगाए जाते हैं। इसको आधार बनाकर गोपाल ने ‘बनाना बायो सेल’ की खोज कर डाली। इससे पूर्व वह अपने स्कूल से वोल्ट मीटर और इलेक्ट्रोड ले आ चुके थे। केले के थंब पर उसका प्रयोग किया।
थंब को जिंक और कॉपर के दो अलग-अलग इलेक्ट्रोड से जोड़ दिया। इलेक्ट्रोड जोड़ने के साथ ही इसमें करंट आने लगा और इसमें एलईडी बल्ब जल उठा। इस तरह पहली वैज्ञानिक कामयाबी का जन्म हुआ।
पेपर बायोसेल से बिजली बनाने का तरीका भी खोज निकाला
इस बड़ी खोज के बावजूद गोपालजी का खोजी दिमाग अपनी दिशाओं में दौड़ता रहता। एक दिन उन्होंने पेपर बायोसेल से बिजली बनाने का तरीका भी खोज निकाला। इसकी खोज के दौरान उन्होंने पेपर को पानी में डाला। उसमें ग्लूकोज डालकर उसका इलेक्ट्रोलाइसिस किया और बिजली तैयार। इसके बाद उन्होंने एक ऐसे पाउडर की खोज की, जिसे लगाते ही शरीर चार हजार डिग्री तक का तापमान सहन कर लेता है। इस तरह वह अब तक सात अलग-अलग तरह की खोज कर चुके हैं। उन्होंने अलॉय वाटर एनर्जी और ब्लूटूथ कंट्रोलर भी ईजाद किया है, जबकि तीन दूसरी चीजों पर उनकी खोजें जारी हैं।
उनका नेशनल इंस्पायर अवार्ड में चयन हो गया
मुलाकातों के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब गोपालजी के हैरतअंगेज कारनामों का पता चला तो वे चमत्कृत रह गए। प्रधानमंत्री ने अहमदाबाद स्थित नेशनल इनोवेटिव फाउंडेशन में भेजने की खुद पहल की। उनका नेशनल इंस्पायर अवार्ड में चयन हो गया। अब तो उनके बिजली संबंधी दोनों आविष्कारों का पेटेंट भी मिल चुका है।
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उनकी विशेषता है कि वह अपनी नई-नई खोजों में लगे रहने के साथ ही उनके पेटेंट के लिए भी आवेदन करते रहते हैं। अपनी घरेलू गरीबी का जिक्र करते हुए गोपालजी बताते हैं कि खुद की बनाई बिजली की रोशनी में ही उन्होंने इंटर की पढ़ाई पूरी की है।
बायोसेल के इस प्रोजेक्ट ने काम करना बंद कर दिया
वह अपनी किसी खोज में जब भी कभी असफल होने लगते हैं, उसे हासिल करने में और दूगने उत्साह से लग जाते हैं। एक बार दिल्ली में उनको अपने बनाये बायोसेल का प्रदर्शन करना था।
इसके लिए उन्होने खूब तैयारी भी की थी, लेकिन दिल्ली जाने से एक दिन पहले ही बायोसेल के इस प्रोजेक्ट ने काम करना बंद कर दिया था। ये देख उनके पिता भी काफी परेशान हुए, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। सारी रात लगे रहे। सुबह तक बैटरी चार्ज करने में सफल हो गए।
शिक्षकों के सहारे ही राज्य स्तरीय टीम में अपनी जगह बनाई
जब उनकी 2008 की बाढ़ में केले की खेती बर्बाद हुई थी, तभी उन्होंने ठान लिया था कि इसको एक दिन जरूर अपनी कामयाबी का सबब मनाकर मानेंगे। गोपालजी इस तरह की बातों से इत्तेफाक नहीं रखते कि लोग सरकारी स्कूल की पढ़ाई को महत्व नहीं देते हैं।
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उन्होंने अपने स्कूल के संसाधन और शिक्षकों के सहारे ही राज्य स्तरीय टीम में अपनी जगह बनाई। पढ़ाई के दौरान इंटर में तो उनको कई स्कूलों ने सिर्फ इसलिए प्रवेश देने से मना कर दिया था क्योंकि उनका ध्यान रिसर्च में लगा रहता था।
राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए भी चयन हो गया
नवंबर 2015 में सीएमएस स्कूल में आयोजित जिलास्तरीय इंस्पायर अवार्ड की राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में जब उनका चयन हुआ तो उसके बाद बिहार दिवस पर मुख्यमंत्री से पुरस्कृत किया। इसके बाद राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए भी चयन हो गया।
उन्होंने तुलसीपुर के मॉडल हाईस्कूल से 2015 में 85 फीसदी से मैट्रिक की परीक्षा पास की। उसी स्कूल से 2017 में 75 फीसदी से इंटर की परीक्षा पास कर गए।
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गोपालजी पर डिस्कवरी, सीएनएन और हिस्ट्री चैनल पर डॉक्यूमेंट्री बनने लगी हैं
इस गोपालजी अहमदाबाद के नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन में अपनी खोजों में व्यस्त हैं। उनके पेटेंट करने के लिए अमेरिका और चीन की कई बड़ी कंपनियां उनको मुंह मांगी राशि देने को तैयार हैं, लेकिन वह कहते हैं कि हर नई खोज अपने साथ रोजगार लेकर आती है। हमारी हर खोज सिर्फ देश की तरक्की के लिए है।
देश के युवा अपनी पढ़ाई के साथ-साथ रिसर्च भी करते रहें। अविष्कार की कोई उम्र नहीं होती। अब तो जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत हो चुके गोपालजी पर डिस्कवरी चैनल, सीएनएन और हिस्ट्री चैनल आदि की डॉक्यूमेंट्री फिल्में बनने लगी हैं। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में शोध का प्रस्ताव मिल चुका है।
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